Tuesday 13 November 2018

तीन कहानियाँ- जो बदल सकती हैं आपकी ज़िन्दगी !


मेरे प्यारे दोस्तों 
           पढ़िए iPod और iPhone बनाने वाली कंपनी Apple के founder Steve Jobs के जीवन की तीन कहानियां जो बदल सकती हैं आपकी भी ज़िन्दगी. इस स्पीच में आपको उनकी पूरी life history या biography की झलक भी मिल जायेगी.

जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली entrepreneurs का नाम लिया जाता है तो उसमे कोई और नाम हो न हो,एक नाम ज़रूर आता है. और वो नाम है STEVE JOBS (स्टीव जॉब्स ) का. APPLE Company के co-founder इस अमेरिकी को दुनिया सिर्फ एक successful entrepreneur, inventor और businessman के रूप में ही नहीं जानती है बल्कि उन्हें world के अग्रणी motivators और speakers में भी गिना जाता है.

और आज आपके साथ बेहतरीन Hindi articles share करने की अपनी commitment को पूरा करते हुए हम  पर आपके साथ Steve Jobs की perhaps the best speech “Stay Hungry Stay Foolish” Hindi में share कर रहे हैं. यह speech उन्होंने Stanford University के convocation ceremony (दीक्षांत समारोह) में 12 June 2005 को दी थी

“Thank You ! आज world की सबसे बहेतरीन Universities में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ. मैं आपको एक सच बता दूं; मैं कभी किसी college से pass नहीं हुआ; और आज पहली बार मैं किसी college graduation ceremony के इतना करीब पहुंचा हूँ. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानियां सुनाना चाहूँगा… ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानियां.

मेरी पहली कहानी dots connect करने के बारे में है. Reed College में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा. तो सवाल उठता है कि मैंने college क्यों छोड़ा ? Actually, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है.

मेरी biological mother* एक young, अविवाहित graduate student थी, और वह मुझे किसी और को adoption के लिए देना चाहती थी. पर उनकी एक ख्वाईश थी कि कोई college graduate ही मुझे adopt करे. सबकुछ बिलकुल set था और मैं एक वकील और उसकी wife के द्वारा adopt किया जाने वाला था कि अचानक उस couple ने अपना विचार बदल दिया और decide किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए. इसलिए तब आधी-रात को मेरे parents, जो तब waiting list में थे, को call करके बोला गया कि, “हमारे पास एक baby-boy है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी.

बाद में मेरी biological mother को पता चला कि मेरी माँ college pass नहीं हैं और पिता तो High School पास भी नहीं हैं. इसलिए उन्होंने Adoption Papers sign करने से मना कर दिया; पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले parents के मुझे college भेजने के आश्वासन के बाद वो मान गयीं. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं college गया….पर गलती से मैंने Stanford जितना ही महंगा college चुन लिया. मेरे working-class parents की सारी जमा-पूँजी मेरी पढाई में जाने लगी.

6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई value नहीं दिखी. मुझे कुछ idea नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और college मुझे किस तरह से इसमें help करेगा..और ऊपर से मैं अपनी parents की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था. इसलिए मैंने कॉलेज drop-out करने का निर्णय लिए…और सोचा जो होगा अच्छा होगा. उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा decision था.

जैसे ही मैंने college छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी classes करने की बाध्यता खत्म हो गयी . और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने interest की classes करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. मेरे पास रहने के लिए कोई room नहीं था, इसलिए मुझे दोस्तों के room में फर्श पे सोना पड़ता था. मैं coke की bottle को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था….मैं हर Sunday 7 मील पैदल चल कर Hare Krishna Temple जाता था, ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं. यह मुझे काफी अच्छा लगता था.

मैंने अपनी life में जो भी अपनी curiosity और intuition की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए priceless साबित हुआ. Let me give an example. उस समय Reed College शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ Calligraphy* सिखाई जाती थी. पूरे campus में हर एक poster, हर एक label बड़ी खूबसूरती से हांथों से calligraph किया होता था.

चूँकि मैं college से drop-out कर चुका था इसलिए मुझे normal classes करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं calligraphy की classes करूँगा और इसे अच्छी तरह से सीखूंगा. मैंने serif और sans-serif type-faces के बारे में सीखा; अलग-अलग letter-combination के बीच में space vary करना और किसी अच्छी typography को क्या चीज अच्छा बनाती है, यह भी सीखा. यह खूबसूरत था, इतना artistic था कि इसे science द्वारा capture नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था.

उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का use कभी अपनी life में करूँगा. लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh Computer बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में design कर दिया. और Mac खूबसूरत typography युक्त दुनिया का पहला computer बन गया. अगर मैंने college से drop-out नहीं किया होता तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या proportionally spaced fonts नहीं होते, और चूँकि Windows ने Mac की copy की थी तो शायद किसी भी personal computer में ये चीजें नहीं होतीं. अगर मैंने कभी drop-out ही नहीं किया होता तो मैं कभी calligraphy की वो classes नहीं कर पाता और फिर शायद personal computers में जो fonts होते हैं, वो होते ही नहीं.

Of course, जब मैं college में था तब भविष्य में देख कर इन dots को connect करना impossible था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है. आप कभी भी future में झांक कर dots connect नहीं कर सकते हैं. आप सिर्फ past देखकर ही dots connect कर सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके future से connect हो जायेगा. आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा —अपने guts में, अपनी destiny में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में…किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में believe करना की आगे चल कर dots connect होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…and that will make the difference.


मेरी दूसरी कहानी, love और loss के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने parents के गराज से Apple शरू की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion और 4000 लोगों की company हो गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपनी finest creation Macintosh release की, मैं तीस का हो गया था और मुझे company से fire कर दिया गया.


आप अपनी बनायीं हुई company से fire कैसे हो सकते हैं? Well, जैसे-जैसे company grow की, हमने एक ऐसे talented आदमी को hire किया, जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ मिलकर company run करेगा, पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला…. लेकिन फिर company के future vision को लेकर हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात Board Of Directors तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया, so at thirty, मुझे निकाल दिया गया…publicly निकाल दिया गया. जो मेरी पूरी adult life का focus था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.

मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से accept करके मैंने अपने पहले कि generation के entrepreneurs को नीचा दिखाया है. मैं David Packard* और Bob Noyce* से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा public failure था, एक बार तो मैंने valley* छोड़ कर जाने की भी सोची. पर धीरे-धीरे मुझे अहसास हुआ कि मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे passion में ज़रा भी कमी नहीं आई है….मुझे reject कर दिया गया है, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता हूँ. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है कि Apple से fire किये जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. Successful होने का बोझ अब beginner होने के हल्केपन में बदल चुका था, मैं एक बार फिर खुद को बहुत free महसूस कर रहा था…इस फ्रीडम की वज़ह से मैं अपनी life की सबसे creative period में जा पाया.

अगले पांच सालों में मैंने एक company NeXT और एक दूसरी कंपनी Pixar start की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही amazing lady से हुई, जो आगे चलकर मेरी wife बनीं. Pixar ने दुनिया की पहली computer animated movie, “ Toy Story” बनायीं, और इस वक्त यह दुनिया का सबसे सफल animation studio है. Apple ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए NeXT को खरीद लिया और मैं Apple में वापस चला गया. आज Apple, NeXT द्वारा develop की गयी technology use करती है….अब Lorene और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है. मैं बिलकुल surety के साथ कह सकता हूँ कि अगर मुझे Apple से नहीं निकाला गया होता तो मेरे साथ ये सब-कुछ नहीं होता. ये एक कड़वी दवा थी …पर शायद मरीज को इसकी ज़रूरत थी. कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है. अपना विश्वास मत खोइए. मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था…I loved my work.

आप really क्या करना पसंद करते हैं यह आपको जानना होगा, जितना अपने love को find करना ज़रूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना ज़रूरी जिसे आप सच-मुच enjoy करते हों आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है कि आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम समझते हों...और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है कि आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों. यदि आपको अभी तक वो काम नहीं मिला है तो आप रूकिये मत; उसे खोजते रहिये. जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है, वो जब आपको मिलेगा तब आपको पता चल जायेगा…और जैसा की किसी अच्छी relationship में होता है वो समय के साथ-साथ और अच्छा होता जायेगा ….इसलिए खोजते रहिये…रूकिये मत.

मेरी तीसरी कहानी death के बारे में है. जब मैं 17 साल का था तो मैंने एक quote पढ़ा, जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जियें जैसे कि ये आपकी जिंदगी का आखीरी दिन है, तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक impression बना दी, और तबसे…पिछले 33 सालों से, मैंने हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है,



और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है, मैं समझ जाता हूँ कि कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना कि मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी life के बड़े decisions लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार death के बारे में सोचता हूँ तब सारी expectations, सारा pride, fail होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है. इस बात को याद करना कि एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है. आप पहले से ही नंगे हैं. ऐसा कोई reason नहीं है कि आप अपने दिल की ना सुनें.

करीब एक साल पहले पता चला कि मुझे cancer है . सुबह 7:30 बजे मेरा scan हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था कि मेरे pancreas में tumor है. मुझे तो पता भी नहीं था की pancreas क्या होता है. Doctor ने लगभग यकीन के साथ बताया कि मुझे एक ऐसा cancer है जिसका इलाज़ संभव नहीं है, और अब मैं बस 3 से 6 महीने का मेहमान हूँ. Doctor ने सलाह दी कि मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका indirect मतलब होता है कि, “आप मरने की तैयारी कर लीजिए.” इसका मतलब कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते, वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए. इसका ये मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए की आपके बाद आपकी family को कम से कम परेशानी हो. इसका ये मतलब होता है कि आप सबको गुड-बाय कर दीजिए.

मैंने इस diagnosis के साथ पूरा दिन बिता दिया फिर शाम को मेरी biopsy हुई जहाँ मेरे मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए मेरी intestine में एक endoscope डाला गया और एक सुई से tumor से कुछ cells निकाले गए. मैं तो बेहोश था, पर मेरी wife, जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया कि जब doctor ने microscope से मेरे cells देखे तो वह रो पड़ा…दरअसल cells देखकर doctor समझ गया कि मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का pancreatic cancer है जो surgery से ठीक हो सकता है. मेरी surgery हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ.

मौत के इतना करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा, और उम्मीद करता हूँ कि अगले कुछ दशकों तक पहुँचूं भी नहीं. ये सब देखने के बाद मैं ओर भी विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि death एक useful but intellectual concept है. कोई मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक कि जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वो भी…फिर भी मौत वो मंजिल है जिसे हम सब share करते हैं. आज तक इससे कोई बचा नहीं है. और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है. ये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है. और इस समय नए आप हैं. पर ज्यादा नहीं; कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और रस्ते से साफ़ हो जायेंगे.

इतना dramatic होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर ये सच है. आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए, अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को डूबने मत दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं कि तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौण है.

जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत publication, “The Whole Earth Catalogue” हुआ करता था, जो मेरी generations की bibles में से एक था. इसे Stuart Brand नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, ने इसे अपना poetic touch दे के बड़ा ही जीवंत बना दिया था. ये साठ के दशक की बात है, जब computer और desktop publishing नहीं हुआ करती थीं. पूरा catalogue ..typewriters, scissors और Polaroid cameras की मदद से बनाया जाता था. वो कुछ-कुछ ऐसा था मानो Google को एक book के form में कर दिया गया हो….वो भी गूगल के आने के 35 साल पहले. वह एक आदर्श था, अच्छे tools और महान विचारों से भरा हुआ था.

Stuart और उनकी team ने “The Whole Earth Catalogue”के कई issues निकाले और अंत में एक final issue निकाला. ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके जितना था. Final issue के back cover पे प्रातः काल का किसी गाँव की सड़क का द्दृश्य था…वो कुछ ऐसी सड़क थी जिसपे यदि आप adventurous हों तो किसी से lift माँगना चाहेंगे. और उस picture के नीचे लिखा था, “Stay Hungry, Stay Foolish”. ये उनका farewell message था जब उन्होंने sign-off किया, “Stay Hungry, Stay Foolish” और मैंने अपने लिए हमेशा यही wish किया है, और अब जब आप लोग यहाँ से graduate हो रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही wish करता हूँ, stay hungry, stay foolish. Thank you all very much.”

Sunday 12 August 2018

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर भाषण

जिसकी सुहानी सुबह है होती … होती सुनहरी शाम है

वीर बहादुर जन्मे जिसमें मेरा भारत महान है


आप सभी को भारत के 70वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

संभवतः यहाँ मौजूद हर व्यक्ति आज़ाद भारत में पैदा हुआ है और इसके लिए हम हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और देशभक्त क्रांतिकारियों के तहे दिल से आभारी हैं.

मित्रों हर स्वतंत्रता दिवस पर हम Dr. Baba Sahab, भगत सिंह सहित उन अनगिनत आज़ादी के दीवानों को याद करते हैं जिन्होंने हमें अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया…..आज भी मैं उन्हें नमन करता हूँ और उनके अमर बलिदान के सम्मान में अपना शीश झुकाता हूँ.

पर आज मैं उन वीर सपूतों की कुर्बानियां नहीं गिनाऊंगा… ना ही मैं उनके बलिदानों का लेखा-जोखा दूंगा….बल्कि आज मैं अपने देश के प्रति हमारे योगदान के बारे में बात करना चाहूँगा.

क्या आपने इस देश को महान बनाने के लिए कोई काम किया है या कर रहे हैं?

मैं आपसे एक प्रश्न करना चाहता हूँ…. कोई देश महान कब बनता है?



कोई देश महान तब बनता है जब उस देश के देशवासी महान बनते हैं….क्योंकि देश तो देशवासियों से ही बना होता है.

तो क्या हम सब भारत के वासी महान बन रहे हैं? क्या हम कुछ ऐसा कर रहे हैं जो हमें महान बनाता है? या कहीं हम इसका उल्टा तो नहीं कर रहे….
कहीं हम पान खा कर दीवारों पर तो नहीं थूक रहे….
कहीं हम अपने घर का कूड़ा सड़कों पर तो नहीं फेंक रहे….
कहीं हम कमरों में लाइट और पंखे खुला छोड़ बाहर तो नहीं टहल रहे ….
कहीं हम नल खुला छोड़ पानी की बर्बादी तो नहीं कर रहे ….
कहीं हम थाली में परोसा खाना छोड़ अन्न का अपमान तो नहीं कर रहे….

अफ़सोस हममें से ज्यादातर लोग ऐसा कर रहे हैं….और ऐसा करने का मतलब है कि हम महान नहीं बन रहे और अगर हम महान नहीं बन रहे तो ये देश कैसे महान बनेगा?

एक बूढ़े दादा जी पार्क में उदास बैठे थे…वहां खेल रहे बच्चों ने पूछा आप उदास क्यों हैं?

दादा जी बोले, “ जब मैं छोटा था तब मैं सोचता था कि एक दिन मैं देश को बदल कर रख दूंगा… जब थोडा बड़ा हुआ तो सोचा….भाई ये देश बदलना अपने बस की बात नहीं मैं तो बस इस शहर को बदल दूंगा…. लेकिन जब कुछ और समय बीता तो लगा ये भी कोई आसान काम नहीं है चलो मैं बस अपने आस-पास के लोगों को बदल दूंगा….

पर अफ़सोस मैं वो भी नहीं कर पाया .

और अब जब मैं इस दुनिया में कुछ दिनों का ही मेहमान हूँ तो मुझे एहसास होता है कि बस अगर मैंने खुद को बदलने का सोचा होता तो मैं ऐसा ज़रूर कर पाता …और हो सकता है मुझे देखकर मेरे आस-पास के लोग भी बदल जाते …और क्या पता उनसे प्रेरणा लेकर ये शहर भी कुछ बदल जाता … और तब शायद मैं इस देश को भी बदल पाता !”

दोस्तों, कोई भी बड़ा बदलाव खुद से शुरू होता है… महात्मा गांधी ने कहा भी है-

“खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं!”

इसलिए अगर आप “मेरा भारत महान” बनाना चाहते हैं तो पहले खुद महान बनिए…और महान बनने के बीज इन छोटी-छोटी बातों में ही छिपे होते हैं…करने दीजिये दुनिया जो करती है बस अपनी जिम्मेदारी लीजिये बस खुद को बदलने का संकल्प कीजिये—
प्रण लीजिये कि आप स्वच्छता रखेंगे….
प्रण लीजिये कि आप बिजली बचायेंगे….
प्रण लीजिये कि आप पानी का संचय करेंगे…
प्रण लीजिये कि आप अन्न का अपमान नहीं करेंगे….

और यकीन जानिये जब आप ऐसा करेंगे तब भारत को सचमुच महान बनने से कोई नहीं रोक पायेगा….और तब हम सब गर्व से कह पायेंगे —

मेरा भारत महान!

Saturday 17 March 2018

2 रुपये कमाने वाली कल्पना सरोज ने खड़ी की 500 करोड़ की कम्पनी


हेलो दोस्तों 
          कहानी थोड़ी फ़िल्मी है लेकिन है सौ फीसदी सच्ची। कल्पना सरोज जी का जीवन ‘‘स्लमडॉग मिलेनियर’’ फिल्म को यथार्थ करता हुआ नजर आता है। Kalpana Saroj की कहानी उस दलित पिछड़े समाज के लड़की की कहानी है जिसे जन्म से ही अनेकों कठिनाइयों से जूझना पड़ा, समाज की उपेक्षा सहनी पड़ी, बाल-विवाह का आघात झेलना पड़ा, ससुराल वालों का अत्याचार सहना पड़ा, दो रुपये रोज की नौकरी करनी पड़ी और उन्होंने एक समय खुद को ख़त्म करने के लिए ज़हर तक पी लिया, लेकिन आज वही कल्पना सरोज 500 करोड़ के बिजनेस की मालकिन है। आइये जानते हैं कल्पना सरोज के बेहद inspiring life journey के बारे में।

पारिवारिक पृष्ठभूमि:

सन 1961 में महाराष्ट्र के अकोला जिले के छोटे से गाँव रोपरखेड़ा के गरीब दलित परिवार में कल्पना का जन्म हुआ। कल्पना के पिता एक पुलिस हवलदार थे और उनका वेतन मात्र 300 रूपये था जिसमे कल्पना के 2 भाई – 3 बहन , दादा-दादी, तथा चाचा जी के पूरे परिवार का खर्च चलता था। पुलिस हवलदार होने के नाते उनका पूरा परिवार पुलिस क्वार्टर में रहता था।कल्पना जी पास के ही सरकारी स्कूल में पढने जाती थीं, वे पढाई में होशियार थीं पर दलित होने के कारण यहाँ भी उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों की उपेक्षा झेलनी पड़ती थी।

कल्पना जी अपने बचपन के बारे में बताते हुए कहती हैं –

हमारे गाँव में बिजली नहीं थी…कोई सुख-सुविधाएं नहीं थीं…बचपन में स्कूल से लौटते वक़्त मैं अकसर गोबर उठाना, खेत में काम करना और लकड़ियाँ चुनने का काम करती थी…

कम उम्र में विवाह:

कल्पना जी जिस society से हैं वहां लड़कियों को “ज़हर की पुड़िया” की संज्ञा दी जाती थी, इसीलिए लड़कियों की शादी जल्दी करके अपना बोझ कम करने का चलन था। जब कल्पना जी 12 साल की हुईं और सातवीं कक्षा में पढ़ रही थीं तभी समाज के दबाव में आकर उनके पिता ने उनकी पढाई छुडवा दी और उम्र में बड़े एक लड़के से शादी करवा दी। शादी के बाद वो मुंबई चली गयीं जहाँ यातनाए पहले से उनका इंतजार कर रहीं थीं।

कल्पना जी ने एक इंटरव्यू में बताया-

मेरे ससुराल वाले मुझे खाना नहीं देते, बाल पकड़कर बेरहमी से मारते, जानवरों से भी बुरा बर्ताव करते। कभी खाने में नमक को लेकर मार पड़ती तो कभी कपड़े साफ़ ना धुलने पर धुनाई हो जाती।

ये सब सहते-सहते कल्पना जी जी स्थिति इतनी बुरी हो चुकी थी कि जब 6 महीने बाद उनके पिता उनसे मिलने आये तो उनकी दशा देखकर उन्हें गाँव वापस लेकर चले गये।

आत्महत्या का प्रयास:

जब शादी-शुदा लड़की मायके आ जाती है तो समाज उसे अलग ही नज़र से देखता है। आस-पड़ोस के लोग ताने कसते, तरह-तरह की बातें बनाते। पिताजी ने दुबारा पढ़ाने की भी कोशिश की पर इतना दुःख देख चुकी लड़की का पढाई में कहाँ मन लगता! हर तरफ से मायूस कल्पना को लगा की जीना मुश्किल है और मरना आसान है ! उन्होंने कहीं से खटमल मारने वाले ज़हर की तीन बोतलें खरीदीं और चुपके से उसे लेकर अपनी बुआ के यहाँ चली गयीं।
बुआ जब चाय बना रही थीं तभी कल्पना ने तीनो बोतलें एक साथ पी लीं… बुआ चाय लेकर कमरे में घुसीं तो उनके हाथ से कप छूटकर जमीन पर गिर गए…देखा कल्पना के मुंह से झाग निकल रहा है! अफरा-तफरी में डॉक्टरों की मदद ली गयी…बचना मुश्किल था पर भगवान् को कुछ और ही मंजूर था और उनकी जान बच गयी!
यहीं से कल्पना जी का जीवन बदल गया। उन्हें लगा की ज़िन्दगी ने उन्हें एक और मौका दिया है…. a second chance.

वो कहती हैं-

जब मैं बच गयी तो सोचा कि जब कुछ करके मरा जा सकता है तो इससे अच्छा ये है कि कुछ करके जिया जाए!

और उन्हें अपने अन्दर एक नयी उर्जा महसूस हुई, अब वो जीवन में कुछ करना चाहती थीं।इस घटना के बाद उन्होंने कई जगह नौकरी पाने की कोशिश की पर उनकी छोटी उम्र और कम शिक्षा की वजह से कोई भी काम न मिल सका, इसलिए उन्होंने मुंबई जाने का फैसला किया।

मुंबई की ओर कदम:


16 साल की उम्र में कल्पना जी अपने चाचा के पास मुंबई आ गयी। वो सिलाई का काम जानती थीं, इसलिए चाचा जी उन्हें एक कपड़े की मिल में काम दिलाने ले गए। उस दिन को याद करके कल्पना जी बताती हैं, “ मैं मशीन चलाना अच्छे से जानती थी पर ना जाने क्यों मुझसे मशीन चली ही नहीं, इसलिए मुझे धागे काटने का काम दे दिया गया, जिसके लिए मुझे रोज के दो रूपये मिलते थे।”
कल्पना जी ने कुछ दिनों तक धागे काटने का काम किया पर जल्द ही उन्होंने अपना आत्मविश्वास वापस पा लिया और मशीन भी चलाने लगीं जिसके लिए उन्हें महीने के सवा दो सौ रुपये मिलने लगे।
इसी बीच किन्ही कारणों से पिता की नौकरी छूट गयी। और पूरा परिवार आकर मुंबई में रहने लगा।

गरीबी की चोट:

धीरे-धीरे सबकुछ ठीक हो रहा था कि तभी एक ऐसी घटना घटी जिसने कल्पना जी को झकझोर कर रख दिया। उनकी बहन बहुत बीमार रहने लगी और इलाज के पैसे न होने के कारण एक दिन उसकी मौत हो गयी। तभी कल्पना जी को एहसास हुआ कि दुनिया में सबसे बड़ी कोई बीमारी है तो वह है – गरीबी ! और उन्होंने निश्चय कर लिया कि वो इस बीमारी को अपने जीवन से हमेशा के लिए ख़त्म कर देंगी।

सफलता की तरफ कदम:


कल्पना ने अपनी जिन्दगी से गरीबी मिटाने का प्रण लिया। उन्होंने अपने छोटे से घर में ही कुछ सिलाई मशीने लगा लीं और 16-16 घंटे काम करने लगीं; उनकी कड़ी मेहनत करने की ये आदत आज भी बरकरार है।
सिलाई के काम से कुछ पैसे आ जाते थे पर ये काफी नहीं थे, इसलिए उन्होंने बिजनेस करने का सोचा। पर बिजनेस के लिए तो पैसे चाहिए होते हैं इसलिए वे सरकार से लोन लेने का प्रयास करने लगीं। उनके इलाके में एक आदमी था जो लों दिलाने का काम करता था। कल्पना जी रोज सुबह 6 बजे उसके घर के सामने जाकर बैठ जातीं। कई दिन बीत गए पर वो इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता था पर 1 महीने बाद भी जब कल्पना जी ने उसके घर के चक्कर लगाने नहीं छोड़े तो मजबूरन उसे बात करनी पड़ी।
उसी आदमी से पता चला कि अगर 50 हज़ार का लोन चाहिए तो उसमे से 10 हज़ार इधर-उधर खिलाने पड़ेंगे। कल्पना जी इस चीज के लिए तैयार नहीं थीं और इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया जो लोगों को सराकरी योजनाओं के बारे में बताता था और लोन दिलाने में मदद करता था। धीरे-धीरे ये संगठन काफी पोपुलर हो गया और समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से काम करने के कारण कल्पना जी की पहचान भी कई बड़े लोगों से हो गयी।
उन्होंने खुद भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा चलायी जा रही महात्मा ज्योतिबा फुले योजना के अंतर्गत 50,000 रूपये का कर्ज लिया और 22 साल की उम्र मे फर्नीचर का बिजनेस शुरू किया जिसमे इन्हें काफी सफलता मिली और फिर कल्पना जी ने एक ब्यूटी पार्लर भी खोला। इसके बाद कल्पना जी ने स्टील फर्नीचर के एक व्यापारी से दोबारा विवाह किया लेकिन वे 1989 में एक पुत्री और एक पुत्र का भार उन पर छोड़ कर वे इस दुनिया से चले गये।

बड़ी कामयाबी:

एक दिन एक आदमी कल्पना जी पास आया और उसने अपना प्लाट 2.5 लाख का बेचने के लिए लिए कहा।कल्पना जी ने कहा मेरे पास 2.5 लाख नही है ,उसने कहा आप एक लाख मुझे अभी दे दीजिये बाकी का आप बाद में दे दीजियेगा। कल्पना जी ने अपनी जमा पूंजी और उधार मांगकर 1 लाख उसे दिए लेकिन बाद में उन्हें पता चला की ज़मीन विवादस्पद है, और उसपर कुछ बनाया नहीं जा सकता। उन्होंने 1.5-2 साल दौड़-भाग करके उस ज़मीन से जुड़े सभी मामले सुलझा लिए और 2.5 लाख की कीमत वाला वो प्लाट रातों-रात को 50 लाख का बन गया।

हत्या की साजिश:


एक औरत का इनती महंगी ज़मीन का मालिक बनना इलाके के गुंडों को पचा नहीं और उन्होंने कल्पना जी की हत्या की साजिश बना डाली। पर ये उनके अच्छे कर्मों का फल ही था कि हत्या से पहले किसी ने इस साजिश के बारे में उन्हें बता दिया और पुलिस की मदद से वे गुंडे पकड लिए गए।

इसके बाद कल्पना जी अपने पास एक लाइसेंसी रिवाल्वर भी रखने लगीं. उनका कहना था कि मैं बाबा साहेब के इस वचन में यकीन रखती हूँ कि-

सौ दिन भेड़ की तरह जीने से अच्छा है एक दिन शेर की तरह जियो।

आत्महत्या के प्रयास के दौरान वो मौत को इतनी करीब से देख चुकी थीं कि उनके अन्दर से मरने का डर कबका खत्म हो चुका था, उन्होंने अपने दुश्मनों को साफ़-साफ़ चेतावनी दे दी –

इससे पहले की तुम मुझे मारो जान लो की मेरी रिवाल्वर में 6 गोलियां हैं। छठी गोली ख़त्म होने के बाद ही कोई मुझे मार सकता है।

ये मामला शांत होने के बाद उन्होंने ज़मीन पर construction करने की सोची पर इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने एक सिन्धी बिजनेसमैन से पार्टनरशिप कर ली। उन्होंने कहा जमीन मेरी है और बनाना आपको है। उसने मुनाफे में 65% अपना और 35 % उनका पर बात मान ली इस प्रकार से कल्पना जी ने 4.5 करोड़ रूपये कमाए।

कमानी ट्यूब्स की बागडोर:


Kamani Tubes की नीव Shri N.R Kamani द्वारा 1960 में डाली गयी थी। शुरू में तो कम्पनी सही चली पर 1985 में labour unions और management में विवाद होने के कारण में ये कम्पनी बंद हो गयी। 1988 में supreme court के आर्डर के बाद इसे दुबारा शुरू किया गया पर एक ऐतिहासिक फैसले में कम्पनी का मालिकाना हक workers को दे दिया गया। Workers इसे ठीक से चला नहीं पाए और कम्पनी पर करोड़ों का कर्ज आता चला गया।
इस स्थिति से निकलने के लिए कमानी ट्यूब्स कम्पनी के workers सन 2000 में कल्पना जी के पास गये। उन्होंने सुन रखा था कि कल्पना सरोज अगर मिट्टी को हाथ लगा दे तो मिट्टी भी सोना बन जाती है।
कल्पना जी ने जब जाना कि कम्पनी 116 करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है और उस पर 140 litigation के मामले हैं तो उन्होंने उसमे हाथ डालने से मन कर दिया पर जब उन्हें बताया गया कि इस कम्पनी पर 3500 मजदूरों और उनके परिवारों का भविष्य निर्भर करता है और बहुत से workers भूख से मर रहे हैं और भीख मांग रहे हैं, तो वो इसमें हाथ डालने को तैयार हो गयीं।
बोर्ड में आते ही उन्होंने सबसे पहले 10 लोगों की कोर टीम बनायी, जिसमे अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट थे। फिर उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार करायी कि किसका कितना रुपया बकाया है; उसमे banks के ,government के और उद्योगपतियों के पैसे थे। इस प्रक्रिया में उन्हें पता चला कि कंपनी पर जो उधार था उसमे आधे से ज्यादा का कर्जा पेनाल्टी और इंटरेस्ट था।
कल्पना जी तत्कालीन वित्त मंत्री से मिलीं और बताया कि कमानी इंडस्ट्रीज के पास कुछ है ही नही, अगर आप interest और penalty माफ़ करा देते हैं, तो हम creditors का मूलधन लौटा सकते हैं। और अगर ऐसा न हुआ तो कोर्ट कम्पनी का liquidation करने ही वाला है, और ऐसा हुआ तो बकायेदारों को एक भी रुपया नही मिलेगा।

वित्त मंत्री ने बैंकों को कल्पना जी के साथ मीटिंग करने के निर्देश दिए। वे कल्पना जी की बात से प्रभावित हुए और न सिर्फ ने सिर्फ penalty और interests माफ़ किये बल्कि एक lady entrepreneur द्वारा genuine efforts को सराहते हुए कर्ज मूलधन से भी 25% कम कर दिया।


कल्पना जी 2000 से कम्पनी के लिए संघर्ष कर रही थीं और 2006 में कोर्ट ने उन्हें कमानी इंस्ट्रीज का मालिक बना दिया। कोर्ट ने ऑडर दिया कि कल्पना जी को 7 साल में बैंक के लोन चुकाने के निर्देश दिए जो उन्होंने 1 साल में ही चुका दिए। कोर्ट ने उन्हें वर्कर्स के बकाया wages भी तीन साल में देने को कहे जो उन्होंने तीन महीने में ही चुका दिए। इसके बाद उन्होंने कम्पनी को modernize करना शुरू किया और धीरे-धीरे उसे एक सिक कंपनी से बाहर निकाल कर एक profitable company बना दिया। ये कल्पना सरोज जी का ही कमाल है कि आज कमानी ट्यूब्स 500 करोड़ से भी ज्यादा की कंपनी बन गयी है।
उनकी इस महान उपलब्धि के लिए उन्हें 2013 में पद्म श्री सम्मान से भी नवाज़ा गया और कोई बैंकिंग बैकग्राउंड ना होते हुए भी सरकार ने उन्हें भारतीय महिला बैंक के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में शामिल किया।

सचमुच, कल्पना जी की ये कहानी कल्पना से भी परे है और हम सभी को सन्देश देती है कि आज हम चाहे जैसे हैं, पढ़े-लिखे…अनपढ़ …अमीर..गरीब…इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता… हम अपनी सोच से… अपनी मेहनत से अपनी किस्मत बदल सकते हैं…हम असंभव को भी संभव बना सकते हैं और अपने बड़े से बड़े सपनो को भी पूरा कर सकते हैं!

Friday 16 March 2018

महान भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग का प्रेरणादायी जीवन


"मै अभी और जीना चाहता हूँ।"

ये कथन किसी और के नहीं विश्व के महान वैज्ञानिकों में से एक स्टीफन हॉकिंग के हैं, जो उन्होंने अपने 70 वें जन्म दिन के दिन कहे थे, जिसे सुन के दुनिया एक पल के लिए अचंभित सी रह गयी। आइये आज हम इस प्रतिभावान वैज्ञानिक के प्रेरणादायक जीवन के बारे में जानते हैं ।

8 जनवरी सन_ 1942 के दिन इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड शहर में फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग दंपत्ति के यहाँ स्टीफन विलियम हॉकिंग का जन्म हुआ, गौरतलब है कि विश्व के एक अन्य महान वैज्ञानिक गलीलियो गेलीली और स्टीफन हॉकिंग की जन्म तिथि एक ही है।बचपन से ही हॉकिंग असीम बुद्धिमत्ता से भरे हुए थे जो लोगो को चौका देती थी । हॉकिंग अपने पिता फ्रेंक द्वारा लिए एक दत्तक पुत्र और अपनी दो बहनों में सबसे बड़े थे।उनके पिता डॉक्टर थे और माँ एक हाउस वाइफ थीं। स्टीफन हॉकिंग की बुद्धि का परिचय इसी बात से लगाया जा सकता है की बचपन में लोग उन्हें “आइंस्टीन” कह के पुकारते थे।
जब हॉकिंग पैदा होने वाले थे तब उनका परिवार लन्दन में था लेकिन दुसरे विश्व युद्ध के कारण वो ऑक्सफ़ोर्ड में आके बस गए, और 11 साल बाद सेंट एलेबेस में आ गए जहा हॉकिंग की शुरुआती शिक्षा हुई ।बचपन से ही स्टीफन गणित विषय में गहरी रूचि थी ,लेकिन उनके पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे ।खैर उस समय गणित विषय न होने के कारण उन्होंने आगे की पढाई भौतिकी विषय लेकर शुरू की और आगे जा के भारतीय वैज्ञानिक “जयंत नार्लीकर “ के सलाह से उन्होंने अपने मनपसंद विषय गणित को ध्यान में रख कर कोस्मोलोजी विषय का चयन किया ।उन्होंने अपनी पी.एच.डी के लिए ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की परीक्षा पास की और अपनी आगे की पढाई शुरू की।

जब वो 21 साल के थे तो एक बार छुट्टिय मानाने के मानाने के लिए अपने घर पर आये हुए थे , वो सीढ़ी से उतर रहे थे की तभी उन्हें बेहोशी का एहसास हुआ और वो तुरंत ही नीचे गिर पड़े।उन्हें डॉक्टर के पास ले जायेगा शुरू में तो सब ने उसे मात्र एक कमजोरी के कारण हुई घटना मानी पर बार-बार ऐसा होने पर उन्हें बड़े डोक्टरो के पास ले जाया गया , जहाँ ये पता लगा कि वो एक अनजान और कभी न ठीक होने वाली बीमारी से ग्रस्त है जिसका नाम है न्यूरॉन मोर्टार डीसीस ।इस बीमारी में शारीर के सारे अंग धीरे धीरे काम करना बंद कर देते है।और अंत में श्वास नली भी बंद हो जाने से मरीज घुट घुट के मर जाता है।
डॉक्टरों ने कहा हॉकिंग बस 2 साल के मेहमान है। लेकिन हॉकिंग ने अपनी इच्छा शक्ति पर पूरी पकड़ बना ली थी और उन्होंने कहा की मैं 2 नहीं २० नहीं पूरे ५० सालो तक जियूँगा । उस समय सबने उन्हें दिलासा देने के लिए हाँ में हाँ मिला दी थी, पर आज दुनिया जानती है की हॉकिंग ने जो कहा वो कर के दिखाया ।
अपनी इसी बीमारी के बीच में ही उन्होंने अपनी पीएचडीपूरी की और अपनी प्रेमिका जेन वाइल्ड से विवाह किया तब तक हॉकिंग का पूरा दाहिना हिस्सा ख़राब हो चूका था वो stick के सहारे चलते थे ।
अब हॉकिंग ने अपने वैज्ञानिक जीवन का सफ़र शुरू किया और धीरे धीरे उनकी ख्याति पूरी दुनिया में फैलने लगी। लेकिन वही दूसरी और उनका शरीर भी उनका साथ छोड़ता चला गया धीरे – धीरे उनका बायाँ हिस्सा भी बंद पड़ गया।लेकिन उन्होंने इन सब चीजों पे ध्यान न देकर अपनी विज्ञान की दुनिया पे ही ध्यान दिया। बीमारी बढ़ने पर उन्हें व्हील चेयर की जरूरत हुई , उन्हें वो भी दे दी गयी और उनकी ये चेयर तकनिकी रूप से काफी सुसज्जित थी।

लोग यूँही देखते चले गए और हॉकिंग मौत को मात पे मात देते रहे ।। उनकी इच्छा शक्ति ने मानो उन्हें मृत्युंजय बना दिया हो । इसी बीच हॉकिंग तीन बच्चो के पिता भी बने। यही कहा जा सकता है हॉकिंग सिर्फ शारीरिक रूप से अपांग हुए थे ना की मानसिक रूप से । उन्होंने अपनी बीमारी को एक वरदान के रूप में लिया।वो अपने मार्ग पे आगे बढ़ते चले गए और दुनिया को दिखाते चले गये की उनकी इच्छा शक्ति और उनकी बुद्धि मत्ता कम नहीं आंकी जा सकती ।

उन्होंने ब्लैक होल का कांसेप्ट दुनिया को दिया, उन्होंने हॉकिंग रेडिएशन का विचार भी दुनिया को दिया । और उनकी लिखी गयी किताब “A BRIEF HISTORY OF TIME “ ने दुनिया भर के विज्ञान जगत में तहलका मचा दिया।

सन 1995 में उनकी पहली पत्नी जेन वाइल्ड ने उन्हें तलाक दे दिया और हॉकिंग की दूसरी शादी हुई इलियाना मेसन से जिन्होंने उन्हें 2006 में तलाक दिया। पहली से पत्नी तलाक मिलने का कारण यह मन जाता है की जेन एक धार्मिक स्त्री थी जबकि हॉकिंग हमेशा से भगवान के अस्तित्व को चुनौती देते थे।जिसके कारण दुनिया भर में हॉकिंग की काफी किरकिरी भी हुई लेकिन इन सब से दूर हॉकिंग अपनी खोजो पे आगे बढ़ते गये और दुनिया को बता दिया की अपंगता तन से होती है मन से नहीं।

हॉकिंग का IQ 160 है जो किसी जीनियस से भी कहीं ज्यादाहै। 2007 में उन्होंने अंतरिक्ष की सैर भी की । जिसमे वो शारीरिक तौर पे “फिट “ पाए गए। आज उन्हें भौतिकी के छोटे बड़े कुल 12 पुरस्कारों से नवाज़ा जा चूका है।लेकिन आज भी वो बस अपनी इच्छा शक्ति के दम पे अपनी जिन्दगी जिए जा रहे है और हमारी यही दुआ है की वो ऐसे ही जीते रहे और हमे नित नयी


खोजों से अवगत कराते रहें।


बड़े दुःख के साथ हमें इस पोस्ट को अपडेट करना पड़ रहा है कि 14 मार्च 2018 को 76 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।



Wednesday 14 March 2018

जैक मा – अलीबाबा संस्थापक की प्रेरणादायक कहानी



हेलो दोस्तों 
        हम बात करनेवाले हैं अलीबाबा ग्रुप के फाउंडर Jack Ma के बारे में, उनके चीन के एक छोटे से गाँव से निकल कर चीन की सबसे बड़ी कंपनी को स्थापित करने के सफ़र के बारे में ।
लगातार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अंततः उन्होंने जो मुकाम हासिल किया वो हर इंटरप्रेन्योर (उद्यमी) और हर एक स्टूडेंट के लिए प्रेरणा स्रोत है ।उन्होंने नौकरी के लिए लगभग 30  से ज्यादा बार रिजेक्ट होने के बाद भी हिम्मत ना हार कर संघर्ष किया और आश्चर्य चकित कर देनेवाली सफलता की एक नई कहानी गढ़ दी ।

Jack Ma वर्तमान में एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं, अगस्त 2017 में उनकी संपत्ति करीब 36. 4  बिलियन अमेरिकी डॉलर है ।
बिज़नेस दुनिया की प्रसिद्ध मैगजीन “फार्च्यून” ने 2017 की दुनिया के 40  महान लीडर्स लिस्ट में दूसरा स्थान दिया गया है । दुनिया में व्यवसायियों और स्व-उद्धिमीयों में से Jack Ma एक बहुत ही प्रभावशील व्यक्ति हैं ।
वे परोपकारी कार्यो के साथ साथ नई पीढ़ी को बिज़नेस के गुर सिखाने के लिए भी मशहूर हैं ।

बचपन (Childhood)


Jack Ma का जन्म चीन के एक बहुत छोटे-से गाँव में १० सितम्बर १९६४ में हुआ था । उन्होंने बचपन गरीबी का हर वो चेहरा देखा जिसकी कल्पना करना भी हमारे लिए मुश्किल है ।
उन्हें बचपन से ही इंग्लिश भाषा को सीखने, समझने में बहुत दिलचस्पी थी । उस समय कम्युनिस्ट देश चीन की प्रमुख भाषा चीनी ही थी और ६० के दशक में चीनी भाषा को ही महत्व दिया जाता था । इंग्लिश भाषा को सीखने-पढने पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था नाही इसको जरूरी समझा जाता था ।
बावजूद इसके लगभग १३ साल ही उम्र से ही उन्होंने अंग्रेजी सीखना शुरू कर दिया, बजाये किसी इंग्लिश के शिक्षक के उन्होंने विदेशों से आने वाले टूरिस्ट्स की मदद करना शुरू कर दी और एक टूरिस्ट गाइड की भूमिका निभाने लगे ।
पश्चिमी देशों से आये टूरिस्ट्स से इंग्लिश भाषा में बात करने में शुरुआत में थोड़ी दिक्कतें आयी पर फिर कोशिश करते रहने से उनकी टूटी-फूटी अंग्रेजी में सुधार हो गया ।
उनका बचपन में नाम “मायून” था पर विदेशी पर्यटकों के लिए ये चीनी नाम उच्चारण करने में कठिन था । एक बार उनकी एक विदेशी पर्यटक से उनकी मित्रता हो गई और उसने ही उन्हें “Jack” नाम दिया ।
9 वर्ष तक उन्होंने एक टूरिस्ट गाइड की तरह काम किया जिससे उन्हें पश्चिमी देशों संस्कृति के साथ साथ इंग्लिश की भी बहुत अच्छी समझ हो गई ।

व्यवसाय की शुरुआत (Career)


Jack Ma शुरुआती दिनों में नौकरी की तलाश में भटक रहे थे, पुलिस की नौकरी के लिए भी उन्होंने आवेदन किया था । पर उनकी शारीरिक क्षमता इस नौकरी के अनुरूप ना होने के कारण उन्हें वहां से भी निराशा ही हाथ लगी ।
जैक मा जब अमेरिका गए तो उन्हें वहाँ इंटरनेट के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त हुई, हालाँकि उन्होंने इसके बारे में पहले से सुन रखा था, पर अब उन्हें इसको उपयोग करने का मौका मिला ।
उन्होंने इंटरनेट पर जो पहला शब्द टाइप किया वो था BEER (भालू) । उन्होंने पाया कि दुनिया के बहुत से देशों के भालुओं के बारे में उन्हें जानकारी मिल गई, पर चीन में पाए जानेवाली प्रजातियों के बारे में कोई जानकारी उस वक्त तक इंटरनेट पर मौजूद नहीं थी ।
फिर उन्होंने अलग-अलग चीजें चीन के बारे में सर्च की । पर इंटरनेट पर चीन के बारे में बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध थी । जो उन्हें अच्छा नहीं लगा और उन्होंने अपने कुछ मित्रों की मदद से एक वेबसाइट बनाई जो चीन के बारे में जानकारियां देती थी ।
महज कुछ ही घंटो के अन्दर उन्हें बहुत से ईमेल प्राप्त हुए जो लोग Jack के बारे में जानना चाहते थे । अब तक Jack को इंटरनेट की अनंत संभावनाओं का एहसास हो चुका था । इस से पहले वो एक ट्रांसलेशन (अनुवाद) करनेवाली एक छोटी सी एजेंसी चलाते थे । अब जैक इंटरनेट की मदद से कुछ नया करना चाहते थे ।
सन 1995 में जैक ने अपने कुछ मित्रों और पत्नी की मदद से 20000 डॉलर जमा किये जिसमे उनकी अपनी बहन से लिए हुए पैसे भी शामिल थे और एक नई वेबसाइट बनाई जो चीन में जो छोटी-बड़ी कंपनियां थी उनको वेबसाइट बनाकर देती थी । इसका नाम उन्होंने “China Yellow Pages” रखा । वांछित लाभ ना मिलने के कारण यह व्यवसाय भी असफल हो गया ।

अलीबाबा कंपनी की शुरुआत (Alibaba Startup)


कुछ दिन सरकारी काम करने के बाद वे वापस गाँव आ गए और उन्होंने अपने 17 मित्रों को इन्वेस्ट करने के लिए रजामंद किया । और इस तरह उन्होंने अपने मित्रों के साथ मिल कर “Alibaba” कंपनी (उस वक़्त एक स्टार्टअप) की नींव रखी ।
शुरुआती दौर में इस कंपनी का ऑफिस अपना खुद का अपार्टमेंट बनाया । इन दिनों अपने मित्रों के इन्वेस्टमेंट के अलावा उनके पास कोई और पूंजी का माध्यम नहीं था परन्तु बाद में 1991 तक कुछ दूसरी कंपनियों की मदद से उनका निवेश 25 मिलियन डॉलर और बढ़ गया ।
चीन के लोगो का विश्वास जीतने और उन्हें इंटरनेट पर व्यवसाय करना सिखाने के बाद अब ये कम्पनी दुनिया की वृहदतम कंपनियों में से एक बन चुकी है ।
एक छोटे से गाँव के लड़के का सफ़र जिसके पास खर्च ने के लिए एक रुपया भी नहीं था वो इतनी बड़ी कंपनी को स्थापित करने में सफल हुआ सिर्फ इस वजह से क्योंकि उसमे जज्बा था कुछ कर दिखाने का, उसमे ललक थी कुछ कर जाने की और सबसे जरूरी उसमे जिज्ञासा थी हर वक़्त कुछ नया सीखने की ।
जिस इंसान में तलब है सीखने की उसका सफलता की बुलंदियाँ छूना तय है । वो हजार बार असफल होकर भी एक ना एक दिन सफलता के वो पायदान पर पहुँच जाता है जो हमें असंभव जान पड़ते हैं ।

जैक मा की असफलताओं की सीढियाँ (Failures of Jack Ma)


Jack Ma कोई रातों-रात अचानक से कामयाब नहीं हुए उनकी असफलताओं (Failures) की भी एक लम्बी सूची है । और अगर आपको लगता है कि असफलताएं सिर्फ आपको ही मिलती हैं तो जरा Jack Ma के बारे में ये बातें भी जान लीजिये जो उन्हें एक बड़ा योद्धा बनाती है अपनी असफलताओं से लड़ने के लिए ।
वो प्राइमरी स्कूल में भी फेल हुए – एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार । जब मिडिल school  में पहुंचे तो ये आंकड़ा और बढ़ गया – और वो तीन बार मिडिल स्कूल में भी फेल हुए ।
जैसे-तैसे स्कूल ख़त्म करके कॉलेज में प्रवेश करने का सोचा तो तीन बार एंट्रेंस एग्जाम में फेल हुए । तक़रीबन १० बार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लिए अप्लाई किया पर हर बार उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया । कॉलेज के बाद भी उनकी हालात सुधरे नहीं और वो लगभग 30  बार job  के लिए apply किया पर जॉब पाने में भी फेल होते गए ।
उसके बाद खुद का बिज़नेस करने का सोचा और उन्हें शुरूआती दो बार फिर बिज़नेस में असफलता ही हाथ लगी । और यही असफलतायें उनकी सफलताओं के द्वार खोलती चली गई, यही असफलताएं उनकी सफलताओं की सीढियाँ बनती गई ।


जैक मा के कुछ प्रेरक विचार (Inspiring Thoughts of Jack Ma)


  1. इससे फर्क नहीं पड़ता कि मैं फेल हो गया । कम से कम मैंने कांसेप्ट को दूसरों को पास किया । यदि मैं सफल नही भी होता हूँ, तो भी कोई और सफल हो जायेगा ।
  2. इससे फर्क नहीं पड़ता कि भूतकाल कितना कठिन है, आपके पास हमेशा वो सपना होना चाहिए जो आपने पहले दिन देखा था । वो आपको प्रेरित रखेगा और आपको बचाएगा ।
  3. जब हमारे पास पैसे होते हैं तब हम गलतियाँ करना शुरू कर देते हैं ।
  4. आप यह नहीं जानते कि आप अपने जीवन में कितना कुछ कर सकते हैं ।
  5. यदि तुमने कभी कोई कोशिश ही नहीं की तो तुमको कैसे पता चलेगा कि कोई मौका है?
  6. युवाओं की मदद करो, अपने से छोटे लोगों की मदद करो क्योंकि छोटे लोग बड़े होंगे । युवाओं के दिमाग में वो बीज होगा जो आप उनमें बोयेंगे और जब वे बड़े होंगे तो वे दुनिया बदल देंगे ।
  7. दूसरों की सफलता से सीखने की बजाय उनकी गलतियों से सीखो । ज्यादातर लोग जो असफल होते हैं उनकी असफलता के कारण समान होते हैं जबकि सफलता की कई वजहें मिल सकती है
  8. याद रखें जल्दी ही, आपको इस बात का अफ़सोस होगा की आपने अपना पूरा समय काम में व्यतीत कर दिया ।
  9. ज़िंदगी बहुत छोटी है और बहुत खूबसूरत, काम के प्रति इतने गंभीर ना रहें । जीवन का आनंद लें ।
  10. हमारे पास कभी भी पैसों की कमी नहीं होती । हमारे पास कमी होती है तो सपने (Dreams) देखने वाले लोगों की ।


तो मित्रों यह थी Jack Ma की Success Story । हमें आशा है की आपको Jack Ma के जीवन से और उनकी इस Hindi Biography से बहुत ही अनमो
ल सीख हासिल हुई होंगी ।

मैं कामना करता हूँ कि आप भी Jack Ma की तरह असफलताओं के सामने एक योद्धा बनकर डटकर लड़े और विफलताओं को परास्त कर के सफलता का नया इतिहास लिखे ।

अगर आपको Jack Ma की यह Hindi Biography अच्छी लगी हो तो कृपया इसे ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाए और सोसिअल मीडिया पर शेयर करे । धन्यवाद ।

Tuesday 6 March 2018

Self-confidence बढाने के 10 तरीके

हेलो दोस्तों 
          आज हम यहाँ आपको बताएंगे की ज़िन्दगी में सफल होने के लिए self-confidence कितना जरूरी है.आज तक जितने भी इंसान सफल हुए है,उनमे self-confidence की कोई भी कमी नहीं थी.फिर चाहे वो कोई cricketer हो या film star सबमे self confidence की कोई कमी नहीं थी.self confidence एक ऐसा गूढ़ है जो हर आम इंसान में होता,लेकिन उस confidence को वो इंसान किस तरह use करता है ये उसके ऊपर dipend करता है.पर ज़रुरत इस बात की है कि अपने present level of confidence को बढ़ा कर एक नए और बेहतर level तक ले जाया जाये । और आज SST(shivam sagar thinking) पर मैं आपके साथ कुछ ऐसी ही बातें share करूँगा जो आपके self confidence को बढाने में मददगार हो सकती हैं


1) अपनी Dressing improve कीजिये:


आप किस तरह से dress-up होते हैं इसका असर आपके confidence पर जरूर पड़ता है । ये बता दूँ कि यहाँ मैं अपने जैसे आम लोगों की बात कर रहा हूँ ,Dr. B.R Ambedkar और Dr. A.P.J Abdul kalam जैसे महापुरुषों का इससे कोई लेना देना नहीं है ,और यदि आप इस category में आते हैं तो आपका भी:)।

मैंने खुद इस बात को feel किया है , जब मैं अपनी best attire में होता हूँ तो automatically मेरा confidence बढ़ जाता है, इसीलिए जब कभी कोई presentation या interview होता है तो मैं बहुत अच्छे से तैयार होता हूँ । दरअसल अच्छा दिखना आपको लोगों को face करने का confidence देता है और उसके उलट poorly dress up होने पे आप बहुत conscious रहते हैं ।

2) आप वो करिए जो confident लोग करते हैं:

आपको अपने आस -पास ऐसे लोग ज़रूर दिखेंगे जिन्हें देखकर आपको लगता होगा कि ये व्यक्ति बहुत confident है । आप ऐसे लोगों को ध्यान से देखिये और उनकी कुछ activities को अपनी life में implement करिए । For example:
  • Front seat पर बैठिये ।
  • उन् लोगो से बात कीजिये जिनसे बात करने में आप खुद hesitate feel करते है.
  • Class में , seminars में , और अन्य मौके पर Questions पूछिए / Answers दीजिये
  • अपने चलने और बैठने के ढंग पर ध्यान दीजिये
  • अपने teacher या boss से अपने confusen दूर कीजिये।
  • दबी हुई आवाज़ में मत बोलिए ।
  • लड़कियों से बात करने की कोसिस कीजिये।
  • Eye contact कीजिये , नज़रे मत चुराइए।

3) अधिकतर लोगो से बेहतर बनने की कोशिश कीजिये :


ये बात तो हर कोई मानता है की हरेक field में कोई भी expert नहीं बन सकता है, लेकिन वो अपने interest के हिसाब से एक -दो areas चुन सकता है जिसमे वो औरों से बेहतर बन सकता है ।जिन field में वो और लोगो से ज्यादा confident होते है.जब मैं School में था तो बहुत से students मुझसे पढाई और अन्य चीजों में अच्छे थे ,पर मैं physics में class में सबसे अच्छा था (thanks to my dear pankaj sir :)), और इसी वजह से मैं बहुत confident feel करता था।अगर आप किसी एक चीज में महारथ हांसिल कर लेंगे तो वो आपको in-general confident बना देगा । बस आपको अपने interest के हिसाब से कोई चीज चुननी होगी और उसमे अपने circle में best बनना होगा, आपका circle आप पर depend करता है , वो आपका school, college, आपकी colony या आपका शहर हो सकता है।

आप कोई भी field चुन सकते हैं, वो कोई art हो सकती है , music, dancing, etc कोई खेल हो सकता है , कोई subject हो सकता है या कुछ और जिसमे आपकी expertise आपको भीड़ से अलग कर सके और आपकी एक special जगह बना सके । ये इतना मुश्किल नहीं है , आप already किसी ना किसी चीज में बहुतों से बेहतर होंगे , बस थोडा और मेहनत कर के उसमे expert बन जाइये, इसमें थोडा वक़्त तो लगेगा , लेकिन जब आप ये कर लेंगे तो सभी आपकी respect करेंगे और आप कहीं अधिक confident feel करेंगे ।

और जो व्यक्ति किसी क्षेत्र में special बन जाता है उसे और क्षेत्रों में कम knowledge होने की चिंता नहीं होती, आप ही सोचिये क्या कभी सचिन तेंदुलकर इस बात से परेशान होते होंगे कि उन्होंने ज्यादा पढाई नहीं की …कभी नहीं !


4) अपने achievements को याद करिए:


आपकी past achievements आपको confident feel करने में help करेंगी। ये छोटी -बड़ी कोई भी achievements हो सकती हैं । For example: आप कभी class में first आये हों , किसी subject में school top किया हो , singing completion या sports में कोई जीत हासिल की हो, कोई बड़ा target achieve किया हो , employee of the month रहे हों । कोई भी ऐसी चीज जो आपको अच्छा feel कराये ।

आप इन achievements को dairy में लिख सकते हैं, और इन्हें कभी भी देख सकते हैं, ख़ास तौर पे तब जब आप अपना confidence boost करना चाहते हैं । इससे भी अच्छा तरीका है कि आप इन achievements से related कुछ images अपने दिमाग में बना लें और उन्हें जोड़कर एक छोटी सी movie बना लें और समय समय पर इस अपने दिमाग में play करते रहे । Definitely ये आपके confidence को boost करने में मदद करेगा ।


5) Visualize करिए कि आप confident हैं:


आपकी प्रबल सोच हकीकतबनने का रास्ता खोज लेती है , इसलिए आप हर रोज़ खुद को एक confident person के रूप में सोचिये । आप कोई भी कल्पना कर सकते हैं , जैसे कि आप किसी stage पर खड़े होकर हजारों लोगों के सामने कोई भाषण दे रहे हैं , या किसी seminar hall में कोई शानदार presentation दे रहे हैं , और सभी लोग आपसे काफी प्रभावित हैं , आपकी हर तरफ तारीफ हो रही है और लोग तालियाँ बजा कर आपका अभिवादन कर रहे हैं । Albert Einstein ने भी imagination को knowledge से अधिक powerful बताया है ; और आप इस power का use कर के बड़े से बड़ा काम कर सकते हैं।


6) गलतियाँ करने से मत डरिये:


क्या आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हो जिसने कभी गलती ना की हो? नहीं जानते होंगे , क्योंकि गलतियाँ करना मनुष्य का स्वभाव है , और मैं कहूँगा कि जन्मसिद्ध अधिकार भी । आप अपने इस अधिकार का प्रयोग करिए। गलती करना गलत नहीं है, उसे दोहराना गलत है । जब तक आप एक ही गलती बार -बार नहीं दोहराते तब तक दरअसल आप गलती करते ही नहीं आप तो एक प्रयास करते हैं और इससे होने वाले experience से कुछ ना कुछ सीखते हैं ।

दोस्तों कई बार हमारे अन्दर वो सब कुछ होता है जो हमें किसी काम को करने के लिए होना चाहिए , पर फिर भी failure के डर से हम confidently उस काम को नहीं कर पाते । आप गलतियों के डर से डरिये मत, डरना तो उन्हें चाहिए जिनमे इस भय के कारण प्रयास करने की भी हिम्मत ना हो !! आप जितने भी सफल लोगों का इतिहास उठा कर देख लीजिये उनकी सफलता की चका-चौंध में बहुत सारी असफलताएं भी छुपी होंगी ।

Michel Jordan, जो दुनिया के अब तक के सर्वश्रेष्ठ basketball player माने जाते हैं; उनका कहना भी है कि –

मैं अपनी जिंदगी में बार-बार असफल हुआ हूँ और इसीलिए मैं सफल होता हूँ।


आप कुछ करने से हिचकिचाइए मत चाहे वो खड़े हो कर कोई सवाल करना हो , या फिर कई लोगों के सामने अपनी बात रखनी हो , आपकी जरा सी हिम्मत आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा सकती है । सचमुच डर के आगे जीत है!

7) Low confidence के लिए अंग्रेजी ना जानने का excuse मत दीजिये:


हमारे देश में अंग्रेजी का वर्चस्व है । मैं भी अंग्रेजी का ज्ञान आवश्यक मानता हूँ ,पर सिर्फ इसलिए क्योंकि इसके ज्ञान से आप कई अच्छी पुस्तकें , ब्लॉग , etc पढ़ सकते हैं , आप एक से बढ़कर एक programs, movies, इत्यादि देख सकते हैं । पर क्या इस भाषा का ज्ञान confident होने के लिए आवश्यक है? नहीं । English जानना आपको और भी confident बना सकता है पर ये confident होने के लिए ज़रूरी नहीं है । किसी भी भाषा का मकसद शब्दों में अपने विचारों को व्यक्त करना होता है,और अगर आप यही काम किसी और भाषा में कर सकते हैं तो आपके लिए अंग्रेजी जानने की बाध्यता नहीं है।

दोस्तों, कुछ जगहों पर जैसे कि job-interview में अंग्रेजी का ज्ञान आपके चयन के लिए ज़रूरी हो सकता है, पर confidence के लिए नहीं , आप बिना English जाने भी दुनिया के सबसे confident व्यक्ति बन सकते हैं ।


8) जो चीज आपका आत्मविश्वास घटाती हो उसे बार-बार कीजिये:


कुछ लोग किसी ख़ास वजह से confident नहीं feel करते हैं । जैसे कि कुछ लोगों में stage-fear होता है तो कोई opposite sex के सामने nervous हो जाता है । यदि आप भी ऐसे किसी challenge को face कर रहे हैं तो इसे beat करिए । और beat करने का सबसे अच्छा तरीका है कि जो activity आपको nervous करती है उसे इतनी बार कीजिये कि वो आपकी ताकत बन जाये । यकीन जानिए आपके इस प्रयास को भले ही शुरू में कुछ लोग lightly लें और शायद मज़ाक भी उडाएं पर जब आप लगातार अपने efforts में लगे रहेंगे तो वही लोग एक दिन आपके लिए खड़े होकर ताली बजायेंगे ।

गाँधी जी की कही एक line मुझे हमेशा से बहुत प्रेरित करती रही है “पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।” तो आप भी उन्हें ignore करने दीजिये , हंसने दीजिये , लड़ने दीजिये, पर अंत में आप जीत जाइये । क्योंकि आप जीतने के लिए ही यहाँ हैं , हारने के लिए नहीं ।


9) विशेष मौकों पर विशेष तैयारी कीजिये:


जब कभी आपके सामने खुद को prove करने का मौका हो तो उसका पूरा फायदा उठाइए । For example: आप किसी debate, quiz , dancing या singing competition में हिस्सा ले रहे हों , कोई test या exam दे रहे हो ,या आप कोई presentation दे रहे हों , या कोई program organize कर रहे हों । ऐसे हर एक मौके के लिए जी -जान से जुट जाइये और बस ये ensure करिए कि आपने तैयारी में कोई कमी नहीं रखी, अब result चाहे जो भी हो पर कोई आपकी preparation को लेकर आप पर ऊँगली ना उठा पाए।

Preparation और self-confidence directly proportional हैं । जितनी अच्छी तैयारी होगी उतना अच्छा आत्म -विश्वास होगा।और जब इस तैयारी की वजह से आप सफल होंगे तो ये जीत आपके life की success story में एक और chapter बन जाएगी जिसे आप बार -बार पलट के पढ़ सकते हैं और अपना confidence boost कर सकते हैं ।


10)Daily अपना MIT(Most Importanat Task) पूरा कीजिये:


यदि आप अपना daily का MIT पूरा करते रहेंगे तो निश्चित रूप से आपका आत्म -विश्वास कुछ ही दिनों में बढ़ जायेगा । आप जब भी अपना MIT पूरा करें तो उसे एक छोटे success के रूप में देखें और खुद को इस काम के लिए शाबाशी दें ।रोज़ रोज़ लगातार अपने important tasks को successfully पूरा करते रहना शायद अपने confidence को boost करने का सबसे कारगर तरीका है । आप इसे ज़रूर try कीजिये।

Friends, ये याद रखिये कि आपका confidence आपकी education, आपकी financial condition या आपके looks पर नहीं depend करता और आपकी इज़ाज़त के बिना कोई भी आपको inferior नहीं feel करा सकता। आपका आत्म-विश्वास आपकी सफलता के लिए बेहद आवश्यक है,और आज आपका confidence चाहे जिस level हो, अपने efforts से आप उसे नयी ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।


All the best! My All friends 

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Entrepreneur बनने के लिए क्या ज़रूरी है क्या नहीं ?



मुझे ऐसे कई लोग मिलते हैं जो अकसर कुछ अपना करने की बात करते हैं, औंट्राप्रेन्योर (उद्यमी ) बनने की बात करते हैं,कोई business setup करने की बात करते हैं….ये अच्छी बात है! पर दिक्कत ये है कि वो ये बात कई महीनो या सालों से करते आ रहे हैं पर reality में इस दिशा में उन्होंने कोई भी step नहीं लिया है.

जब मैं उनसे पूछता हूँ कि भाई तुम क्या करने की planning कर रहे हो और उसे कबसे शुरू करने वाले हो? तो मुझे कुछ ऐसे जवाब मिलते हैं :



1-अभी decide नहीं किया है , बैठ कर सोचते हैं इस पर….
2-सोच रहे हैं एक school डाल दें , या फिर पापड़- अचार का काम किया जाये….या…
3-एक काम सोचे तो हैं पर कोई partner नहीं मिल रहा है…
4-तुम्ही बताओ यार क्या किया जाये…

अधिकतर लोग उस काम को ही लेकर clear नहीं होते कि वो करना क्या चाहते हैं, तो कब से शुरू करने का प्रश्न ही नहीं उठता.

ऐसा क्यों होता है कि कई लोग entrepreneur या उद्यमी बनने के बारे में बात तो करते हैं पर इस सोच को implement नहीं कर पाते:


  • Entrepreneur बनने की बात को लेकर वो serious नहीं होते…शायद ऐसा कहना कि “मैं एक entrepreneur बनना चाहता हूँ” वो बस एक fashion statement की तरह use करते हैं और असल में उनके मन में ऐसा करने की कोई इच्छा नहीं होती.
  • वो ऐसा सोचते हैं कि मैं अभी इस काम के लिए तैयार नहीं हूँ , ” मुझे experience नहीं है”, “मेरे पास अभी उतने पैसे नहीं हैं”
  • Failure का डर. “कहीं मेरा plan fail हो गया तो…..” जब Failure का डर Success की ख़ुशी से अधिक होता है तो entrepreneur बन पाना मुश्किल है.
  • मौजूदा स्थिति का सही होना. यदि job में ही ठीक-ठाक पैसे मिल रहे हैं तो व्यक्ति सोच सकता है कि risk उठाने का क्या फायदा, और वो उसी में रमा रहता है.मैं job करने को बुरा नहीं मानता, यदि आप उसमे संतुष्ट हैं तो आपके लिए वही सही है.

Successful Entrepreneur बनने के लिए क्या जरूरी है:


  • कुछ अपना करने की इच्छा होना.
  • क्या करना है इस बात को लेकर mind में clarity होना.
  • अपनी idea में पूर्ण विश्वास होना. आप जो भी करने जा रहे हैं अगर उसको लेकर आपके मन में बहुत सारे doubts हैं तो आपका सफल होना मुश्किल है.
  • Failure के लिए तैयार रहना. हो सकता है आपका आईडिया क्लिक ना करे, ऐसे में इस सिर्फ एक सबक के रूप में लें, और नयी आईडि या के साथ जुट जाएँ.
  • Backup Plan ready रखना. हम सभी कि एक risk appetite होती है, जिसके आगे हम रिस्क नहीं उठा सकते. तो यदि आपका venture fail हो जाता है तो ऐसे में आप कैसे bounce back करेंगे , इसके लिए एक plan होना जरूरी है. मेरे विचार से यदि आप किसी जॉब में हैं और साथ ही आपके पास एक business idea है जिसमे आप desperately interested हैं तो job से resign करके अपना काम शुरू करने से बेहतर होगा कि आप इस side-business के रूप में शुरू करें या आप एक लम्बी छुट्टी लेकर इस आईडिया का pilot run करें.
  • Perseverance : अपने काम को लेकर दृढ रहे. बीच में कई बार ऐसा लग सकता है कि आप सफल नहीं हो पायेंगे, लेकिन ऐसे मौकों पर आपको खुद से positive talk करनी होगी, ज्यादातर entrepreneurs इसी qualityके ना होने की वजह से सफल नहीं हो पाते. वो कभी ये जान ही नहीं पाते कि अगर वो कुछ देर और हिम्मत नहीं हारते और टिक कर काम करते तो वो एक सफल व्यवसाई होते.
  • थोडा सा luck. पहले मैं luck को उतना importance नहीं देता था, पर मेरे कुछ ऐसे experience रहे हैं कि मुझे लगता है कि ये भी एक important factor है.


Entrepreneurship से सम्बंधित कुछ myths :


  • Entrepreneurs पैदा होते हैं बनाये नहीं जा सकते: ऐसा नहीं है. कोई भी कभी भी एक उद्यमी बन सकता है.
  • Entrepreneur बनने के लिए किसी innovative idea का होना जरूरी है: ऐसा बिलकुल नहीं है ,आप औरों द्वारा successfully implement किये गए ideas को उठा कर दुबारा अपने तरीके से implement करके भी एक सफल उद्यमी बन सकते हैं.
  • उद्यमी बनने के लिए experience का होना ज़रूरी है: ऐसा भी आवश्यक नहीं है. Suhas Gopinath, जिनकी success story मैंने इस ब्लॉग पर आपके साथ share की हुई है, इसका एक जीता जागता उदाहरण हैं कि छोटी सी उम्र में भी multi million dollar company खड़ी की जा सकती है.
  • Entrepreneur बनने के लिए किसी चीज को लेकर passionate होना जरूरी है: मेरे हिसाब से ऐसा जरूरी नहीं है, पर ऐसा जरूर है कि यदि आप passionate होंगे तो आपके business के successful होने के chances कई गुना बढ़ जायेंगे. for example हम सब जानते हैं कि Kapil Dev का passion cricket है पर वो एक सफल उद्यमी भी हैं, चंडीगढ़ में उनका hotel business है. जरूरत है अपने business में interest लेने की और उसमे efforts लगाने की ,पर यदि आप passionate भी हैं तो ये सोने पे सुहागा होने वाली बात है. Entrepreneur बनना एक logical decision है, जितना effort आप अपनी नौकरी में लगाते हैं उतना अगर अपने business में लगाएं तो शायद कहीं ज्यादा earn कर सकते हैं.
  • Entrepreneur बनने के लिए किसी तरह की पढाई-लिखाई या training होना आवश्यक है: ये भी आवश्यक नहीं है है. Shri Mahila Griha Udyog Lijjat Papad की स्थापना कुछ अनपढ़ महिलाओं द्वारा ही की गयी थी , और आज इसका turnover 650 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है.
  • अपना business शुरू करने से पहले सब कुछ perfectly planned होना चाहिए: ये भी एक मिथक है. कई लोग इसी चक्कर में on field कुछ करने के से पहले अपना सारा time on paper discussion करने में ही लगा देते हैं. जरूरत है कि कुछ आगे की planning करके अपना काम शुरू करने की, बाद में खुद बखुद रास्ते बनते जाते हैं.
  • Business करके रातों रात करोडपति बना जा सकता है: बिलकुल गलत. किसी व्यवसाय में सबसे पहले आपको value create करनी होती है.और फिर उसे sell करना होता है.और ये सब करने में कई साल भी लग सकते हैं. Business अमीर बनने का रास्ता है पर shortcut नहीं.

यदि आप भी एक entrepreneur बनना चाहते हैं या कभी भविष्य में ऐसा करने की इच्छा रखते हैं तो उम्मीद है ये लेख आप के लिए कुछ मददगार होगा.



निवेदन: यदि आपके पास भी entrepreneurship से सम्बंधित कुछ अच्छी बातें हैं तो comment के ज़रिये ज़रूर share करें.

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